Aaj Ki Murli 12 February 2022 | Murli Today 12 February BK Murli आज की मुरली हिन्दी में PDF | Aaj Ki Murli | आज की मुरली | आज की मुरली पढ़ने वाली | Om Shanti Aaj Ki Murli
Aaj Ki Murli 12 February 2022 | Murli Today 12 February

“मीठे बच्चे – बाप आये हैं अनाथों को सनाथ बनाने, सबको दु:खों से छुड़ाकर सुखधाम में ले जाने”
प्रश्नः- | कल्प-कल्प बाप अपने बच्चों को कौन सी आथत (धैर्य) देते हैं? |
उत्तर:- | मीठे बच्चे – तुम बेफिकर रहो, विश्व में शान्ति स्थापन करना, सर्व को दु:खों से छुड़ाना मेरा काम है। मैं ही आया हूँ तुम बच्चों को इस रावण राज्य से छुड़ाकर रामराज्य में ले चलने। तुम बच्चों को वापिस ले जाना मेरा ही फ़र्ज है। |
गीत:- | छोड़ भी दे आकाश सिंहासन… |
ओम् शान्ति। बच्चों ने गीत सुना। बच्चे याद करते हैं – अपने परमप्रिय परमपिता को कि फिर से आओ, क्योंकि माया की परछाई पड़ गई है अथवा रावणराज्य हो गया है। सब दु:खी ही दु:खी हैं। कहते हैं हम सब पतित हैं। तो बाबा कहते हैं कि मैं कल्प-कल्प, कल्प के संगमयुगे आता हूँ। 5 हजार वर्ष पहले भी आया था फिर से कल्प के संगमयुगे आया हुआ हूँ। बाप आकर आथत देते हैं। बच्चे बेफिकर रहो, यह मेरा ही पार्ट है। बच्चे कहते हैं बाबा आओ, आकर फिर से राजयोग सिखाओ।
पतित दुनिया को आकर पावन बनाओ। इस समय सब आरफन हैं। आरफन उनको कहा जाता है जिनको माँ बाप नहीं हों। आपस में लड़ते-झगड़ते रहते हैं। सब बड़े दु:खी हैं। सारी दुनिया में अशान्ति है इसलिए बच्चों को दु:ख से पार कर वा रावण के राज्य से छुड़ाकर रामराज्य, सुखधाम में ले जाने आये हैं। बाप कहते हैं यह मेरा फ़र्ज है। सारे वर्ल्ड का अर्थात् सभी आत्माओं का एक ही बाप है। सभी कहते हैं हे बेहद के बाबा, आप अभी ऊपर से तख्त छोड़कर आये हो। ब्रह्म मह-तत्व में रहते हैं ना।
यहाँ हैं जीव आत्मायें। वहाँ है आत्माओं का स्थान, जिसको ब्रह्माण्ड कहा जाता है। तो बाप बच्चों को समझाते हैं यह नाटक है सुख और दु:ख का। बुलाते भी हैं हे परमपिता परमात्मा क्योंकि दु:खी हैं। यह गीत भी इस पर गाया हुआ है। बच्चों की क्या भूल हुई है। बाप को भूले हैं। गीता का भगवान, जिसने सहज राजयोग सिखाया, अनाथ को सनाथ बनाया, उनको नहीं जानते हैं।
गाते भी हैं – हे अनाथों को सनाथ बनाने वाले। अनाथ से सनाथ भारत को ही बनाते हैं। भारत ही सनाथ, सदा सुखी था। प्योरिटी, पीस, प्रासपर्टी थी। गृहस्थ आश्रम था। भारत महान पवित्र था। गाते भी हैं 16 कला सम्पूर्ण, सम्पूर्ण निर्विकारी… यहाँ तो सब अनाथ बन गये हैं। उनको पता ही नहीं है – हिंसा, अहिंसा किसको कहा जाता है। वह समझते हैं गऊ आदि को मारना हिंसा है। बाप कहते हैं एक दो पर काम कटारी चलाना हिंसा है। रावण की प्रवेशता के कारण सब पतित बन पड़े हैं।
बाप कहते हैं नम्बरवन दुश्मन है देह-अभिमान। फिर काम, क्रोध यह 5 विकार तुम्हारे दुश्मन हैं, जिन्होंने तुम्हें अनाथ बनाया है। बाबा पूछते हैं हे भारतवासी बच्चों तुम्हें याद आता है कि सतयुग में हम सनाथ थे तो कितने सुखी थे! यहाँ कोई शरीर छोड़ते हैं तो कहते हैं – स्वर्ग गया। नर्क से गया ना। तो समझाना चाहिए कि भारत इस समय नर्क है, इसको रौरव नर्क कहा जाता है। गरुड़ पुराण में कथायें हैं। और कोई नदी नहीं है, विषय सागर में सब गोते खाते रहते हैं। एक दो को काटते, दु:खी करते रहते हैं।
बाप आकर समझाते हैं यह दु:ख और सुख का ड्रामा बना हुआ है। बाकी ऐसे नहीं कि अभी-अभी नर्क, अभी-अभी स्वर्ग है। जिसके पास बहुत धन है, वह स्वर्ग में हैं। नहीं, धनवान भी दु:खी होते हैं। इस समय सारी दुनिया दु:खी है। बाप समझाते हैं तुम्हारा धनी है मात-पिता, जिसके लिए ही तुम गाते हो तुम मात पिता… मनुष्यों को तो पता ही नहीं, लक्ष्मी-नारायण के आगे भी कहेंगे – तुम मात पिता… राधे कृष्ण के आगे भी कहेंगे तुम मात पिता… क्योंकि बाप को ही नहीं जानते।
बाप रचयिता और उनकी रचना को नहीं जानते। यह सृष्टि का चक्र है। माया का चक्र नहीं कहेंगे। माया 5 विकारों को कहा जाता है। धन को सम्पत्ति कहा जाता है। सम्पत्तिवान भव, आयुश्वान भव, पुत्रवान भव। यह आशीर्वाद बाप ही देते हैं। बाकी वह सब तो भक्तिमार्ग के गुरू हैं। ज्ञान सागर एक ही है जिसके लिए गाते हैं। गीता सुनाकर फिर कह देते श्रीकृष्ण भगवानुवाच।
अरे कृष्ण कैसे भगवान होगा! यह तो ऊपर वाले को बुलाते हैं कि रूप बदलकर आओ। तुम आत्मायें तो रूप बदलती हो। बाप भी तो मनुष्य तन में ही आयेंगे ना। बैल पर तो नहीं आयेंगे। तुम कहते हो बाबा आप भी हमारे मुआफिक रूप बदलकर मनुष्य तन में आओ। मैं कोई बैल वा कच्छ मच्छ में नहीं आता हूँ। पहले-पहले मनुष्य सृष्टि रची जाती है प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा।
तो दो बाप हो गये – एक तो परमपिता परमात्मा शिव, जिसको कहते हैं – हे अनाथों को सनाथ बनाने वाले बाबा आओ, फिर गाते हैं ज्ञान सूर्य प्रगटा… ज्ञान सूर्य वह बाप ही है जो सबसे ऊंच है। इस खेल को भी समझना चाहिए ना। भारत पर ही खेल है। बाकी वह बाईप्लाट हैं। भारत का देवी-देवता धर्म ही श्रेष्ठ नम्बरवन है। दैवी धर्म, दैवी कर्म श्रेष्ठ थे। अब धर्म कर्म भ्रष्ट बन गये हैं।
बाप समझाते हैं धर्म मुख्य हैं चार, सबसे पहले है देवी-देवता धर्म। सतयुग स्थापना का कर्तव्य एक बाप ही करेंगे ना। वह है हेविनली गॉड फादर। बाप कहते हैं मैं कल्प के एक ही संगमयुगे आता हूँ। तुम बच्चे जानते हो हम सनाथ बन रहे हैं। अनाथों को सनाथ बनाने वाला एक ही बाप है। मनुष्य, मनुष्य को तो अल्पकाल का ही सुख दे सकते हैं। यह है ही दु:ख की दुनिया।
त्राहि-त्राहि करते रहते हैं। भारत सुखधाम था, अभी दु:खधाम है। आये हैं शान्तिधाम से, अब नाटक पूरा होता है। यह चोला पुराना हो गया है, गृहस्थ में रहते पवित्र बनना है। मैं तुम्हारा बाप आया हूँ पवित्र हेविन स्थापन करने। पहले पवित्र थे, अभी अपवित्र हैं। आधाकल्प रामराज्य है, आधाकल्प रावण राज्य है। अभी तुम ईश्वरीय गोद में हो। यह ईश्वरीय फैमली है। दादा (ग्रैण्ड फादर) है शिवबाबा।
प्रजापिता ब्रह्मा है बाबा। यह रीयल्टी है। तुम जानते हो निराकार बाप ने प्रवेश किया है। मनुष्य तन में आये हैं। वह बाप बैठ आत्माओं से बात करते हैं। उनको रूहानी सर्जन कहा जाता है। रूह को इन्जेक्शन लगाते हैं। यह जो आत्मा को निर्लेप कहते हैं लेकिन आत्मा कैसे निर्लेप होगी। आत्माओं में ही संस्कार हैं, जिस अनुसार जन्म लेती है। अभी तुम बच्चे परमपिता परमात्मा को जानते हो।
सब उनको ही याद करते हैं हे पतित-पावन परमपिता परमात्मा आप इस मनुष्य सृष्टि के बीजरूप बाप हो। चैतन्य हो, ज्ञान के सागर हो। सारी नॉलेज आत्मा में है। फिर संस्कारों अनुसार पढ़ाई से जाकर तुम राजा बनते हो। बाप में भी ज्ञान के संस्कार हैं ना। सृष्टि के आदि मध्य अन्त का ज्ञान है। तुमको भी त्रिकालदर्शी बनाते हैं। तुम जानते हो कि हम आत्मायें मूलवतन से आती हैं।
ब्रह्म को परमात्मा नहीं कह सकते। बाप आकर जो नॉलेज सुनाते हैं उसका नाम रखा है गीता। बाप ही आकर राजधानी स्थापन करते हैं। और कोई राजधानी नहीं स्थापन करते। अभी राजधानी स्थापन होनी है इसलिए पवित्र बनना है। अभी बाप तुम बच्चों को नॉलेज देकर पवित्र बनाए धणका बनाते हैं। ड्रामा का अक्षर भी कोई नहीं जानते हैं। यह अनादि अविनाशी ड्रामा है।
सभी आत्माओं को अविनाशी पार्ट मिला हुआ है। परमात्मा का भी पार्ट है। बाबा ने समझाया है कि शिव कोई इतना बड़ा लिंग नहीं है। उनको कहा जाता है परमपिता परमात्मा। आत्मा का रूप क्या है? स्टार, लाइट, चमकता है भृकुटी के बीच अजब सितारा, इतनी छोटी सी आत्मा में कितना बड़ा पार्ट है। वन्डर है ना। बाप कहते हैं मेरी आत्मा में भी पार्ट है। भक्ति मार्ग में मैं तुम्हारी कितनी सर्विस करता हूँ। इस समय तो बड़ा वन्डरफुल पार्ट है। कल्प-कल्प तुम बच्चों का पार्ट चलता रहता है।
एक्टर्स भी नम्बरवार होते हैं। सबसे पहले है बाबा। बाप के पास जो नॉलेज है वह सबको देते हैं। बाप कहते हैं बच्चे यह राजधानी स्थापन हो रही है।
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