Aaj Ki Murli 13 February 2022 | Murli Today 13 February BK Murli आज की मुरली हिन्दी में PDF | Aaj Ki Murli | आज की मुरली | आज की मुरली पढ़ने वाली | Om Shanti Aaj Ki Murli

Aaj Ki Murli 12 February 2022 | Murli Today 12 February
होलीहँस की विशेषतायें
आज सर्व बच्चों को विशेष आत्मा बनाने वाले बापदादा हर एक होलीहँस की विशेषता देख रहे हैं। जैसे हंस की निर्णय-शक्ति और परखने की शक्ति विशेष होती है इसलिए ग्रहण करने की शक्ति भी विशेष है जो मोती और कंकड़ दोनों को परखता है और फिर निर्णय करता है, उसके बाद मोती ग्रहण करता है, कंकड़-पत्थर छोड़ देता है। तो परखना, निर्णय करना और ग्रहण करना अर्थात् धारण करना – तीनों शक्तियों की विशेषता के कारण संगमयुगी सरस्वती माँ की सवारी हंस दिखाया है।
तो एक सरस्वती माँ का यादगार नहीं लेकिन माँ समान बनने वाली ज्ञान-वीणा वादिनी आप सभी हो। इस ज्ञान को धारण करने के लिए भी यह तीनों विशेषतायें अति आवश्यक हैं। आप सभी ने ब्राह्मण-जीवन धारण करते ही ज्ञान द्वारा विवेक द्वारा पहले परखने की शक्ति के आधार को पहचाना, अपने-आपको पहचाना, समय को पहचाना। अपने ब्राह्मण परिवार को पहचाना, अपने श्रेष्ठ कर्तव्य को पहचाना, इसके बाद निर्णय किया तब ही ब्राह्मण-जीवन धारण की।
यह वही कल्प पहले वाला बेहद का बाप है, परम आत्मा है, मैं भी वही कल्प पहले वाली श्रेष्ठ आत्मा हूँ, अधिकारी आत्मा हूँ – इस परखने के बाद निर्णय किया। बिना बाप को परखने के निर्णय नहीं कर सकते। कई आत्मायें अभी तक भी सम्बन्ध-सम्पर्क में हैं, बहुत अच्छा, बहुत अच्छा कहती रहती हैं लेकिन परमात्म-पहचान वा परखने की शक्ति न होने कारण निर्णय नहीं कर सकते कि क्या बनना है वा क्या करना है, इसलिए ब्राह्मण-जीवन धारण नहीं कर सकते।
सहयोगी बनते हैं लेकिन सहज योगी जीवन नहीं बना सकते क्योंकि दोनों शक्तियाँ नहीं हैं, इसलिए होलीहंस नहीं बन सकते। पवित्रता रूपी मोती और अपवित्रता रूपी कंकड़ – दोनों को अलग नहीं समझते तो पवित्रता को ग्रहण करने की शक्ति नहीं आ सकती। तो होलीहंस की विशेषता है पहले शक्ति “परखना” अर्थात् पहचानना। आप होलीहँसों में यह दोनों शक्तियाँ हैं ना? क्योंकि बाप को पहचाना, अपने-आपको भी पहचाना, निर्णय भी ठीक किया तब तो ब्राह्मण बने और चले रहे हो।
इस बात में तो सब पक्के पास हो। लेकिन जो सेवा करते हो और कर्म में आते हो, सारे दिन की दिनचर्या में जो कर्म करते हो, सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो, उसमें सफलतापूर्वक हर कर्म रहे वा हर सम्पर्क वाली आत्मा के सम्बन्ध में आने में सदा सफलता रहे। हर प्रकार की सेवा मन्सा-वाचा-कर्मणा – तीनों में सदा सफलता अनुभव हो, उसका भी आधार परखने की शक्ति और निर्णय करने की शक्ति है। इसमें फुल पास हो?
सेवा की सफलता वा सम्पर्क में सफलता सदा न होने का कारण चेक करो – तो कार्य को, व्यक्ति को, आत्मा को परखने की शक्ति में अन्तर पड़ जाता है। जिस आत्मा को जिस समय जिस विधिपूर्वक सहयोग चाहिए वा शिक्षा चाहिए, स्नेह चाहिए, उस समय अगर परखने की शक्ति तीव्र है तो अवश्य सम्बन्ध में सफलता प्राप्त होगी। लेकिन होता क्या है? जिस आत्मा को जो सहयोग वा विधि उस समय चाहिए वो न देकर वा न परखने कारण अपने ढंग से उसको सहयोग देते हो वा विधि अपनाते हो,
इसलिए सन्तुष्टता की सफलता नहीं होती। जैसे शारीरिक बीमारी को परखने की डॉक्टर को विधि न आये तो क्या होता है? ठीक होने के बजाए एक से अनेक रोग और पैदा हो जाते हैं। पेशेन्ट को सन्तुष्टता की सफलता नहीं मिलती। जिसको साधारण शब्दों में बापदादा कहते हैं कि हर एक की नब्ज को पहचानो। चलना और चलाना भी जरूरी है। तो क्या करना पड़ेगा? पहचानने अर्थात् परखने की शक्ति को तीव्र करना पड़े। इसमें अन्तर पड़ जाता है, जिसको आप साधारण भाषा में कहते हो हैंडलिंग का फ़र्क।
कहते हो ना – इनकी हैंडलिंग पुरानी है, इनकी नई है..। यह अन्तर क्यों पड़ा? क्योंकि हर समय हर आत्मा और हर कार्य को परखने की शक्ति चाहिए। टोटल परखने की शक्ति आ गई है लेकिन विस्तार से और बेहद के परखने की शक्ति की आवश्यकता है – उस समय आत्मा की ग्रहण शक्ति कितनी है, वायुमण्डल क्या है और उस आत्मा की सुनने वा शिक्षा लेने की मूड कैसी है..।
जैसे कोई कमजोर शरीर वाला हो और उसको ज्यादा-से-ज्यादा ताकत का इन्जेक्शन दे देवें तो क्या हालत होगी? वह तो हार्टफेल हो जायेगा, शान्ति में चला जायेगा। ऐसे अगर सम्बन्ध में आने वाली आत्मा कमजोर है, आत्मा में हिम्मत नहीं है लेकिन आप उसको शिक्षा का डोज़ देते जाओ, उसका मूड, समय वायुमण्डल परख न सके तो रिजल्ट क्या होगी? एक तो दिलशिकस्त हो जायेगा और शक्ति न होने कारण ग्रहण नहीं कर सकेगा, और ही जिद्द और सिद्ध करने में उछलेगा।
आपने तो अच्छी भावना से किया लेकिन सफलता न मिलने का कारण परखने और निर्णय करने की शक्ति कम है, इसलिए सफलतामूर्त बनने में परसेन्टेज हो जाती। तो सारे दिन के कर्म और सम्बन्ध में परखने के शक्ति की आवश्यकता हुई ना इसलिए शिक्षा भल दो लेकिन सब बातों को परखकर फिर कदम उठाओ। ऐसे ही सेवा के क्षेत्र में भी अगर आत्माओं की आवश्यकता और इच्छा परखने के बिना कितना भी अच्छा ज्ञान दे दो, कितनी भी मेहनत कर लो लेकिन सफलता नहीं होगी।
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Aaj ki Murli Pdf 12 February 2022
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