Aaj Ki Murli 3 February 2022 | Murli Today 03 February BK Murli

Aaj Ki Murli 3 February 2022 | Murli Today
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Aaj Ki Murli 3 February 2022 | Murli Today

“मीठे बच्चे – सदा इसी रूहाब में रहो कि बाप हमको वापिस ले जाने के लिए आये हैं, अब सबको वापिस चलना है”

प्रश्नः-कौन सी एक नई बात मनुष्यों की बुद्धि में बहुत मुश्किल बैठती है?
उत्तर:-शिवबाबा जो निराकार है, उसने ब्रह्मा के तन में प्रवेश किया है, वही सबसे बड़े ते बड़ी आसामी है, उनका ही ऊंचे ते ऊंचा पार्ट है, यह नई बात मनुष्यों की बुद्धि में बहुत मुश्किल बैठती है।
गीत:-यह कौन आज आया सवेरे…

ओम् शान्ति। शिवबाबा बैठकर अपने बच्चों को समझाते हैं – बच्चे तो समझ गये हैं कि शिवबाबा निराकार है और हम आत्मायें भी निराकार हैं। उनको ही बैठ समझाते हैं। यह युक्ति सिर्फ एक ही बाप के पास है। बाप बैठ समझाते हैं, भगवान किसके साथ बात करते हैं? अपने बच्चे, आत्माओं के साथ। बच्चे भी जानते हैं और बाप भी जानते हैं। आत्मा शरीर बिगर तो कुछ सुन न सके। शरीर द्वारा ही सुनती है। \

एक ही यह सतसंग है जिसमें परमपिता परमात्मा बैठ समझाते हैं बाकी जो भी सभी आत्मायें हैं, उन सबको अब साथ ले जाना है क्योंकि ड्रामा का चक्र अब पूरा हुआ है। यह सारी भारतवासियों की ही बात है। बाबा आते हैं भारत में और भारतवासियों को ही कहते हैं – बच्चे तुमने सबसे जास्ती पार्ट बजाया है। तुम ही सतयुग में सो देवी-देवता थे। अब शूद्र बने हो। फिर से तुमको पढ़ाकर देवी-देवता बनाते हैं औरों को कैसे पढ़ायेंगे।

गीता भी भारत की ही है। हर एक का अपना-अपना पुस्तक है। और जो भी धर्म पितायें आये हैं, वह सब मनुष्य हैं। उनको अपना-अपना शरीर है। यह है सभी आत्माओं का निराकार फादर, जो नॉलेजफुल है। ड्रामा के आदि मध्य अन्त को जानते हैं। बाप को पढ़ाना भी तुम बच्चों को ही है क्योंकि तुम ही चक्रवर्ती राजा फिर से बनने वाले हो। सभी तो मनुष्य से देवता नहीं बनेंगे।

जो भी पहले देवी-देवता धर्म वाले होंगे उन्हों का ही फिर सैपलिंग लगेगा, जब देवी-देवता धर्म की पूरी स्थापना हो जायेगी तो फिर और सब मठ पंथ विनाश को पायेंगे। सभी आत्माओं को बाप वापिस ले जायेंगे। बाप आते ही हैं पतित दुनिया में, आकर सबको वापिस ले जानें। बच्चे जानते हैं जो सहज राजयोग हम कल्प पहले भी सीखे थे वह अब सीख रहे हैं।

विनाश नजदीक आयेगा तो सबकी आंख खुलेगी। अभी तो सिर्फ तुम ही निश्चय करते हो कि परमपिता परमात्मा की इस तन में प्रवेशता होती है। गाते भी हैं गाइड अथवा लिबरेटर आयेगा – जो सबको दु:ख से लिबरेट कर ले जायेगा। यह जो ब्रह्मा है – उसमें परमपिता परमात्मा ने प्रवेश किया है। यह कितनी बड़े से बड़ी आसामी हो गई। तुम बच्चों को इतने रूहाब में रहना है कि बाप हमको लेने आया है। कहते हैं मुझे याद करो। उस रिगार्ड से बहुत मुश्किल कोई देखते हैं। भगवान की कितनी महिमा है।

वही सर्वशक्तिमान् है। दूसरे कोई की इतनी महिमा है नहीं। इतना रिगार्ड तुम बच्चों को रखना है। संगठन में तुम जब बैठते हो तो याद अच्छी रहती है फिर इधर उधर जाते हो तो वह याद रहना मुश्किल है। घड़ी-घड़ी अपने को देही-अभिमानी समझो तब बाप को याद कर सकेंगे। ऐसे बाप के साथ बड़ा रिगार्ड से चलना पड़े। परन्तु बाबा साधारण होने कारण वह रिगार्ड नहीं रहता। समझते भी हैं कि बाबा कालों का काल है, यह शिवबाबा जिसको तुम बापदादा कहते हो यह सबको साथ ले जायेगा।

बाबा को ऊंचे ते ऊंचा पार्ट मिला हुआ है, जिसको सारी दुनिया याद करती है। आत्मा क्या चीज़ है, यह कोई और बता न सके। कहते हैं लिंग है। पूजा तो शिवलिंग की होती है। हम भी लिखते हैं ज्योर्तिलिंगम्। परन्तु वास्तव में इतना बड़ा है नहीं। यह तो स्टॉर मिसल है। इनमें ही सारा पार्ट भरा हुआ है। यह भी किसकी बुद्धि में नहीं आयेगा। जब सुनेंगे आत्मा स्टॉर है, परमात्मा भी स्टॉर है तो वन्डर खायेंगे कि कितना वह ताकतवान इसमें प्रवेश होता है जो पूरे 84 जन्म लेते हैं, उसमें बैठ सारी नॉलेज देते हैं कि तुम आत्मा हो। तुम्हारे 84 जन्म अब पूरे हुए हैं। अब मुझे याद करो तो विकर्म विनाश होंगे।

अभी तुम बच्चों को ख्याल में आता है कि आत्मा कितनी छोटी बिन्दी है। उसमें 84 जन्मों का पार्ट है जो अपने समय पर एक्यूरेट रिपीट करना ही है। परन्तु शिवबाबा का सबसे ऊंचे ते ऊंचा पार्ट है, जैसे ड्रामा में राजा रानी को ऊंचा पार्ट मिलता है ना। यह भी बना बनाया ड्रामा है जो रिपीट होता ही रहता है और तुम बच्चे यह भी जानते हो तो ऊंचे ते ऊंचे बाप को ऊंचे ते ऊंचा पार्ट मिला हुआ है।

तुम्हें भी सारे बेहद का ड्रामा बुद्धि में है। बाबा सुप्रीम सोल कैसे साधारण तन में प्रवेश करते हैं। शास्त्रों में तो अर्जुन का रथ घोड़ा गाड़ी बना दिया है। रथ का अर्थ कितना बड़ा है। यह है उनका रथ। परमपिता परमात्मा खुद कहते हैं मैं इनमें प्रवेश कर तुमको सभी बातें समझाता हूँ। यह ज्ञान की बातें कोई शास्त्र आदि में नहीं हैं। शिवबाबा ने ब्रह्मा तन में प्रवेश किया है। यह बिल्कुल नई बात होने के कारण किसकी बुद्धि में बैठती नहीं हैं। अब बाप कहते हैं बच्चे देही-अभिमानी बनो।

अब तुमको परमपिता परमात्मा पढ़ाते हैं, उनको ही याद करना है, वह इस तन में बैठे हैं। इनको तो तुम दादा कहते थे। यह बापदादा दोनों कम्बाइन्ड हैं। तुम बापदादा कह बुलाते हो ना। पहले बाप फिर दादा। फिर यह तुम्हारी माँ भी है। यह गुह्य बातें समझाते हैं। यह है ब्रह्म पुत्रा नदी। यह सागर नहीं है। बड़े ते बड़ी नदी इनको कहेंगे। फिर है सरस्वती। तुम हो ज्ञान सागर से निकली हुई ज्ञान गंगायें।

उन्होंने फिर वह चित्र बना दिया है। ब्रह्मा पुत्रा कहाँ से निकली, यह उन्हों को क्या पता। फिर सिन्ध सरस्वती का भी नाम है। कुछ न कुछ थोड़ा बहुत शास्त्रों में है। आत्मा ही पावन, आत्मा ही पतित बनती है। शरीर के लिए नहीं कहा जाता है, आत्मा के लिए कहते हैं। इस समय प्राय: सभी पतित हैं। शरीर तो किसका पवित्र नहीं। सभी पाप आत्मा हैं। सबसे जास्ती पुण्य आत्मा तुम बनते हो।

सब कुछ शिवबाबा को सरेन्डर करते हो। ऐसे बहुत होते हैं जो एक-एक चीज़ सरेन्डर कराते हैं। लोभ को सरेन्डर करो, फलानी चीज़ छोड़ो। यहाँ तुम जब बाबा के बनें, तो सब कुछ बाप को सरेन्डर करते हो। बाबा फिर एवज़ा देते हैं। जो जितना श्रीमत पर चलते हैं, सरेन्डर करते हैं उतना उनको दर्जा मिलता है। मुख्य है शिवबाबा को याद करना। शिवबाबा यहाँ आते हैं पढ़ाने। सारा दिन तो इसमें नहीं बैठ जायेगा। सेकण्ड की बात है। तुम याद करो और आ जायेगा। तुम समझते होगे कि बाबा सदैव यहाँ है, परन्तु यह खुद ही भूल जाते हैं। इस समय बाप खुद कहते हैं मैं तो सबको लेने आया हूँ।

विवेक भी कहता है कि विनाश तो जरूर होना है। अब तो बहुत मनुष्य हो गये हैं। विनाश की खूब तैयारियां हो रही हैं। यह भी तुम ही जानते हो। बाकी और भल कहते हैं विनाश होगा परन्तु उसके बाद क्या होगा, यह नहीं जानते। तुम्हारे में भी नम्बरवार जानते हैं कि बाबा आया है, राजधानी स्थापन हो रही है।

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