आज के हम इस पोस्ट मे संस्कृत में मां (माता) पर निबंध | Essay on Mother in Sanskrit ( maa per nibandh) लिखेंगे। दोस्तों यह सभी class 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए लिखे गये है।
संस्कृत में माता (मां) पर निबंध | Essay on Mother in Sanskrit
यया महिलया शिशु जन्यते, पालनं लालनम् क्रीयते, तां महिलां माता इति मन्यते | माता सदृश: पुल्लिङ्ग प्रतिवस्तु पिता | संस्कृतभाषायां जननि, जन्यत्रि, अम्बा, सवित्री, अम्बिका, प्रसू, जनी, अल्ला, अक्का, अत्ता इत्यादिनि अनेकानि पदानि मातृ सब्दस्य कृते पर्यायशब्दरूपेण उपयुज्यते | शिशो: पालन विषये पित्रे तथा इतर बन्दुजनेभ्य: अपि दायित्वं अस्ति एव परन्तु अम्बायै ज्येष्ठांशम् विद्यते | माता इति पदम् स्पष्टीकर्तुं सुलभकार्यं नास्ति |
न केवलं मानवा: इतरेषु पशुषु अपि मातृत्वं सुस्पष्टं विद्यते | यथा शिशो: जीवनं अम्बया विना कटिनम् भवति तथा एव मृगाणां पक्षिणां अपि अम्बया विना जीवनं बहु कष्टं भवति | भारत देशे स्वमातरं अपेक्षया तरव:, नद्य:, जन्मभूमि:, भाषा: इत्यादय: अपि मातृवत् पूजनीया: इति मन्यते | प्रथमतया श्रीमद्रामायण महाकाव्ये “जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि” इति श्लोक: वर्तते | तादृशा: श्लोका: विविधेषु प्राचीनेषु ग्रन्थेषु अपि वर्तन्ते |

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संस्कृत में 10 लाइन माता (मां) पर निबंध | 10 lines essay on Mother in Sanskrit
- यया महिलया शिशु जन्यते, पालनं लालनम् क्रीयते, तां महिलां माता इति मन्यते |
- माता सदृश: पुल्लिङ्ग प्रतिवस्तु पिता |माता इति पदम् स्पष्टीकर्तुं सुलभकार्यं नास्ति
- न केवलं मानवा: इतरेषु पशुषु अपि मातृत्वं सुस्पष्टं विद्यते |
- प्रथमतया श्रीमद्रामायण महाकाव्ये “जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसि” इति श्लोक: वर्तते |
- माता इति पदम् स्पष्टीकर्तुं सुलभकार्यं नास्ति |
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